Saturday, November 22, 2014

पहली चुस्की... सांझी चाय की।

A Salute to Smriti 

नुक्कड़ की तरह का चोकोर जीवन जीने वाले हम...
बांध बांध लेते हैं रिश्तों के
संजो लेते हैं-रोक लेते हैं
बाँट लेते हैं।
चाय कितनी पुरानी है
उतनी के जितने हम-आप हैं।
कस्बे की गलियाँ- चोराहा-कोना किसी गली का
सब रंगमंच बन जाता है जीवन का... जब चाय बहाना बनती है दोस्ती का।
कितने संदर्भ-किस्से-कहानियाँ-अनुभव होते हैं जो हम चाय के साथ बाँट लेते हैं। एक हल्के से कप-कुल्हड़ को थाम
हल्के से बतला लेते हैं भारी बातें भी।

स्मृति भारद्वाज का यह ब्लॉग उसी चाय को साथी-आधार धारण करके अपने आपको बांटने आया है। इसके माध्यम से स्मृति स्वयं को और प्रेरित करने आई हैं ब्लॉग जगत मैं।

असीम उत्साह से भरी स्मृति अग्रणी रही हैं अपने जीवन के हर क्षेत्र में। छात्र  एवम् अध्यापन जीवन में स्मृति का उत्साह और दृढ़ता सबको प्रेरित करती है।
एकलव्यपर्व की ओर से यह परिचय-प्रथम केवल प्रयास मात्र है उनके बारे में ज़्यादा ना कहने का... पर यह ज़रूर बताने का कि स्मृति जो कहती हैं-वही कहना होता है...मन में वही होता है।
रंगमंच में रंगी स्मृति युवाओं को प्रशिक्षण देती हैं
थिएटर और मंच पर बोलना सिखाती हैं।
Communication Skills
Personality Development
Public Speaking
Living Your Life in a Better Way
Guilt Free Life..
Motivation...
Relationships...
और भी बहुत विषयों पर सधे हुए विचार रखती हैं।
साहित्यिक और सांस्कृतिक भूमि को सींचती हैं और बोलने में नहीं चूकती हैं।

यह ब्लॉग इन्हीं विचारों को साँझा करेगा।

आइये चाय चैट करते हैं।
स्मृति भारद्वाज के साथ...

प्रथम सम्मान "एकलव्य पर्व"की ओर से!


करो चाय चैट:)

1 comment:

  1. This is very mesmerising introduction. .Thanks for giving us this kind of literature to read. .looking forward for more chaichats ...celebration times

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